चाहत.......दोस्ती का नया नाम है......
वो उजली सुबह कुछ खास थी जब दिल से निकली एक आवाज़ थी,
तो क्या हुआ यदि सुरत दोनो ही अंजान थी,
खुद रिश्ते मे छीपी एक पहचान थी,
हा !! दोस्ती दिलो की दोस्ती इसका नाम है,
बिखरी ख्वाहिशों की डगर मे जिसके जवान हुए हर अरमान है,
ना कोई शरते, ना कोई शिकवे है, ये एक ऐसा एहसास है,
मिला सांसो को मेरी जिसका वरदान है,
पर क्या वक़्त ये यूँ, युगो तक रहता एक समान है,
शायद नही, तभी तो यू, बदले रिश्ते, बदले उनका हर नाम है,
इसी बदलते उल्फत-ए-नशा इन रगून मे, पाया दोस्ती ने मानो अपना मकाम है,
आया फिर जो ये आया समय की धार मे आन्धी-तूफान है,
छुटा किनारा, डूबी किश्ती, यारी मजधार है,
वो सालो सफर तैय करने पर हम खडे चौराहे पर बेनाम है,
शायद यही वो राज़ है.....
शायद यही वो राज़ है.....
की वक़्त के बदलते रिश्ते....
हा !! यहि इस चाहत का नया नाम है........
good feelings are really impressive.
ReplyDeletekeep writing.
dr.bhoopendra
सुंदर .बहुत अच्छा लगा पढ़ कर
ReplyDeletenarayan narayan
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