Tere Ghar ka AaNgan mujhe barha suhana laga
Na jaane kyuN, kis kader mujhe ye purana laga
MaiN bade itminaan se aya hooN tere paas maaN
ik umar Guzaar loonga gar tujhe ye nazrana laga
Tere bas meiN gar ho toh bhool jaana woh Dard
Mere aane ki aahat ka tujhe, kabhi tadpana Laga
Na jane kya dekha, maine teri udasas ankhoN meiN
Gunahgaar huN tera aane meiN mujhe ik zamana laga
Hamarey milan se Gar jalne lagegi ye kamzarf duniyaN
Khaak ho jaayega kisi dushman ka koi kabhi Nishana laga
Terii Ik awaaz pe mera, Gup-chup sa paas chale aana
Pyaar hai tera, paas ki lehroN ko bhi, pata na laga
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Thursday, September 23, 2010
KhwaaboN kii dunyaa ko jab jalte huye deKhaa
ख्वाबों की दुनिया को जब जलते हुए देखा
हर ख्वाब को मैने तिल तिल मरते हुए देखा
हो गई आदत अब तो अंधेरों मे जीने की
मुहब्बत का सूरज भी ढलते हुए देखा
क्या पाया क्या खोया न पता दिल को मेरे यारों
खुद के अरमां को दफ़न जो करते हुए देखा
लाखों थे बहाए आँसू मेरे घाव पर जिसने
नफ़ज़-ए-वापसी मे उसको ही हंसते हुए देखा
बीतें कल की यादों से खुद को नहीं निकाला फिर
जब सच की कड्वाहट को बढ्ते हुए देखा
हालत देख मेरी अक्सर महफ़िल कहे मुझ से
क्या शब को सुबहा से कभी मिलते हुए देखा?
खुद का गम महफ़िल में मैने सुनाया तो
सब के हाथों को मैने मलते हुए देखा
हर ख्वाब को मैने तिल तिल मरते हुए देखा
हो गई आदत अब तो अंधेरों मे जीने की
मुहब्बत का सूरज भी ढलते हुए देखा
क्या पाया क्या खोया न पता दिल को मेरे यारों
खुद के अरमां को दफ़न जो करते हुए देखा
लाखों थे बहाए आँसू मेरे घाव पर जिसने
नफ़ज़-ए-वापसी मे उसको ही हंसते हुए देखा
बीतें कल की यादों से खुद को नहीं निकाला फिर
जब सच की कड्वाहट को बढ्ते हुए देखा
हालत देख मेरी अक्सर महफ़िल कहे मुझ से
क्या शब को सुबहा से कभी मिलते हुए देखा?
खुद का गम महफ़िल में मैने सुनाया तो
सब के हाथों को मैने मलते हुए देखा
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